आओ अपना कर्त्तव्य निभाओ |
आओ अपना कर्त्तव्य निभाओ |
शिखर की राह बड़ी कठिन है,
हालात भी अनुकूल नही दिखते।
हम इंसान तो अब खुद की
गलतियों से भी नही सीखते।
हर किसी से उम्मीद है हमें,
कभी खुद से उम्मीद नही रखते।
दूसरो के गुनाह बताने वाले,
हम खुद को है दलीलों से ढकते।
पर फिर भी तुम इन्सान हो
अब तो वापस लौट आओ।
खुद भी जागो इस बेहोशी से,
औरो को भी जगाओ।
जिस समाज की कल्पना करते हो,
उसके लिए अभी से कदम बढाओ।
दूसरों से कोई उम्मीद मत करो,
तुम बस अपना कर्तव्य निभाओ।