महसूस कर लेता हूं तेरे वजूद को ....
महसूस कर लेता हूं तेरे वजूद को ....
तेरी निशानियों का क्या
मेरी परेशानियों में भी तू है।
इन तन्हाइयों का क्या
तेरी यादों में भी सुकून है।
फिर भी कभी देखता हूं
खाली रसोई अगर मैं
तो ना तू है और ना तेरे
बर्तन की खटपटना तू
आवाज देती है।
मुझेऔर ना ही है तेरी आहट पर
महसूस कर लेता हूं।
तेरे वजूद को जो यहां भी है
और मेरे अंदर भी।
दिल उदास ही रहता है
तेरी ही बात बस करता है।
हां जब तुम पास थी तो मैंने तुम्हें
चाहत मान लिया था।
पर ना जाने इस दिल ने कब तुम्हें
आदत मान लिया।
अब समझाता हूं झूठ ही
इस दिल को कि तू नहीं है।
यहां पर महसूस कर लेता हूं
तेरे वजूद को जो यहां भी है।
और मेरे अंदर भी
पहले सोचा तुम्हारे जाने के
बाद की जियूंगा,
हूं जैसे मैं आजाद
पर देखो ना सब कुछ
उलझाकर बैठा हूं मैं,
कर के ये कमरे बर्बाद।
ना जागा हूं अब तक और
ना अब सोना है।
तेरे सिवा ना कुछ पाना है
ना कभी तुझको खोना है।
खाली है दिल, घर और जज्बात
खाली है मन, शहर और हालात।
पर महसूस कर लेता हूं
तेरे वजूद को जो यहां भी है
और मेरे अंदर भी।