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Aman Barnwal

Abstract Inspirational Children

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Aman Barnwal

Abstract Inspirational Children

दीपक की ज्योति बना दिया।

दीपक की ज्योति बना दिया।

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कभी दुनिया तो कभी दुनियादारी,

कभी समझ तो कभी होशियारी,

वक़्त बेवक्त ही कितना कुछ सिखा दिया।

एक चिंगारी से थे हम जो कभी, 

हमें दीपक की ज्योति बना दिया।


घिसते थे कभी डांट के औजारों से,

कभी मलमल से पोछा करते थे।

मेरी खाली बुद्धि में न जाने कितने,

ज्ञान के मोती भरते थे।

कभी कविता सुनाकर जलेबी वाला,

खिलखिला कर हँसा दिया।

कभी किसी छोटी गलती पर भी,

जरूरी था इसलिए रुला दिया।

कभी पंख लगा दिए कभी,

कभी नासमझी को दबा दिया।

एक चिंगारी से थे हम जो कभी, 

हमें दीपक की ज्योति बना दिया।


इतनी बड़ी ये दुनिया थी,

और हम तो दुनिया से अनजान थे।

नादानी नासमझी के लक्षण ही

हम बच्चों की पहचान थे।

उंगली उठा कर बड़े प्यार से 

हमें हमारी मंज़िल दिखा दिया

हाथ पकड़ कर कभी क्रोध से,

हमें सही राह में चला दिया।

अपनी काबिलियत झोंक झोंक कर,

हमें इतना काबिल बना दिया।

एक चिंगारी से थे हम जो कभी, 

हमें दीपक की ज्योति बना दिया।



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