मुकाबला
मुकाबला
स्वागत, सत्कार अतिथि का
सदियों से अपनी परंपरा
सम्मान की कीमत वो समझे,
जो जाने प्रेम की भाषा
झूले की महिमा पहचाने,
भाये जिसको गोपाला
वो क्या जाने चाय की चुस्की,
चमगादड़ सूप पीनेवाला
मक्कारी जिसके रग-रग में,
चालबाज़ी हर मोर्चे पे
वादे से उम्मीद क्या होगी,
धोखा जिसकी फ़ितरत है
आँखें जिनकी दिखती नहीं,
रोज आँख दिखाये सीमा पर
पूछो तो दुनिया से बोले,
संबंध हमारे अच्छे हैं
जब लांघे कोई सरहद ,
इलाज़ में माहिर हैं फ़ौजी
बिन हथियार भी धूर्तों से,
क्या खूब लड़े हैं मर्दाने
सेना अपनी है पेशेवर,
सरकार कूटनीति में
आक्रोश हमारा है वाजिब,
जब कत्ल निहत्थे वीरों का
संकल्प हमें लेना होगा,
सामान लायेंगे स्वदेशी
सर्वश्रेष्ठ बने हर क्षेत्र में,
तभी मुकाबला जीतेंगे....!