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कुमार जितेंद्र

Inspirational

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कुमार जितेंद्र

Inspirational

नववर्ष

नववर्ष

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चिड़ियों की चह-चह आवाजें

बछड़े मैया को पुकारें

सूरज उठता हो दरिया से

कलियां आतुर हैं फूल बने

नववर्ष के भिनसारे, चित हर्ष चरम होगा ।


अवनि से मिलन को अंशुमन

पर धुंध की घूंघट रोके रथ

लटकी बूंदें, पत्ती डाली

हैं आसमान में कुछ बादल

नववर्ष प्रथम दिनकर ,का दर्श मदन होगा ।


कुछ ठंडक भी ,कुछ ठिठुरन भी

जल्दी उठने की आदत भी

आशीष गुरु और मातु पिता

मुरलीधर किशन कन्हैया की

नववर्ष के पूर्वाह्न ,संकल्प अटल होगा ।


गूंजेगी घर -घर शहनाई

हर रात दिवाली, दिन होली

नवजात की आस में जो आंचल

उन आंचल भरी हो किलकारी

नववर्ष की शाम ढले ,आनंद प्रबल होगा ।


हर हाथ को काम,हों व्यस्त सभी

मनमाफिक सबकी तरक्की

बरसे खुशियां हर गली-गली

मेरा देश सुरक्षित हर फौजी

नववर्ष की उम्मीदें , उत्कर्ष परम होगा ।


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