नववर्ष
नववर्ष
चिड़ियों की चह-चह आवाजें
बछड़े मैया को पुकारें
सूरज उठता हो दरिया से
कलियां आतुर हैं फूल बने
नववर्ष के भिनसारे, चित हर्ष चरम होगा ।
अवनि से मिलन को अंशुमन
पर धुंध की घूंघट रोके रथ
लटकी बूंदें, पत्ती डाली
हैं आसमान में कुछ बादल
नववर्ष प्रथम दिनकर ,का दर्श मदन होगा ।
कुछ ठंडक भी ,कुछ ठिठुरन भी
जल्दी उठने की आदत भी
आशीष गुरु और मातु पिता
मुरलीधर किशन कन्हैया की
नववर्ष के पूर्वाह्न ,संकल्प अटल होगा ।
गूंजेगी घर -घर शहनाई
हर रात दिवाली, दिन होली
नवजात की आस में जो आंचल
उन आंचल भरी हो किलकारी
नववर्ष की शाम ढले ,आनंद प्रबल होगा ।
हर हाथ को काम,हों व्यस्त सभी
मनमाफिक सबकी तरक्की
बरसे खुशियां हर गली-गली
मेरा देश सुरक्षित हर फौजी
नववर्ष की उम्मीदें , उत्कर्ष परम होगा ।