Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.
Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.

कुमार जितेंद्र

Abstract

4.5  

कुमार जितेंद्र

Abstract

हिंदी,एक परिचय

हिंदी,एक परिचय

2 mins
431


संस्कृत से उदित मुदित ,देवलिपि जो जानी जाती है

सबसे सरल है लिपि हमारी,जो हिन्दी कहलाती है

दुनिया के छप्पन से अधिक,मुल्कों में बोली जाती है

सबसे मीठी है बोली हमारी, जो हिन्दी कहलाती है !

 

अवधी, मगही, भोजपुरी, बुन्देली जिसकी उपभाषा

मालवी, कुमाउनी, बघेली,हरियाणवी कहें या ब्रजभाषा 

तरह-तरह के देशी विदेशी, शब्दकोश जिसके गहने

अरबी ,तुर्की, फ़रासी और उर्दू भाषा जिसकी बहने 

चार छंद ,नव रस ,दस अलंकार से सज-धज आती है

सबसे मनोहारी पावनी वो हिन्दी भाषा कहलाती है !

 

सुर, अमीर, रहीम, जायसी, तुलसी

महादेवी,  कबीर, नीरज,  दिनकर

प्रेमचंद,  प्रसाद , प्रदीप, पंत

बच्चन, बिहारी,शाह जफर

भारतेन्दु, भूषण से भारती तक

कुमार हों या अटल,अख्तर

हर कवि की लेखनी में घुलकर,देखो कितना मनभाती है

क्यों न गर्व हमे उस वर्तनी पे ,जो हिन्दी कहलाती है ! 

 

कहने को चौदह सितंबर ,उनचास बनी थी राजभाषा

अफसोस है इतने वर्षों में ,न बना सके हम राष्ट्रभाषा 

उस अंकुर को न बढ़ने दिया ,उसके ही बाग के माली ने

ये शुद्ध –विशुद्ध के फेरों ने ,भाषा की ठेकेदारी ने

जिसके नारों ने अग्रेजों से,आजादी तो दिलवाई

खुद जकड़ी रही जंजीरों में, हम उसे दिलाएँ आजादी 

जागो मेरे भारतवासी , मत रुको अब बारी तुम्हारी है

जब विश्व में अग्रज हो हिन्दी ,तभी ‘जीत ‘तुम्हारी हमारी है !



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract