हिंदी इसको कहते हैं...!
हिंदी इसको कहते हैं...!
हिंदी नामक संकीर्तन,
हम 14/9 क्यों करते हैं
हिंदी का हितैषी बेहतर
दिखने का अभिनय करते हैं
दिन चार गया लोकाचार हुआ
काम वही फिर करते हैं
कोई पूछे ना अब उनसे
ए हिंदी किसको कहते हैं
गीत भजन में ,शाम-ए-ग़ज़ल में
अदा-ए-शायर, कवि की कलमें
शब्द स्याही भाव कविता
बहे निसदिन ज्ञान सरिता
तू मेरी बोली बोले,
हम तेरी भाषा पढ़ते हैं
दिल से सब बोलें हिंदी,
ए रीत हमारे कहते हैं
किसी लिपि से बैर नहीं है
सरलतम सबमें हिंदी वही है
दिखाओ हिम्मत,
सपना जन गण का
करें सरकारें,
माने हर तबका
देश मेरा मेरी भाषा,
बने हिंदी राष्ट्रभाषा
एक दिन का मनका छोड़ो
हर दिल के मन का करते हैं
सब भारतवासी गाएं,
मेरी हिंदी इसको कहते हैं !