ज़ीरो से हीरो
ज़ीरो से हीरो
हर इन्सान बिल्कुल समान्य
जन्म के समय
डेढ़ दो किलो का बच्चा होता है
धीरे-धीरे बढ़ कर
शिशु, किशोर और जवान होता है
पढ़ता है लिखता है ज्ञान बढ़ाता है
खेल कूद, व्यायाम करके शरीर पुष्ट बनाता है
उसे यह भान ही नहीं होता कि
उसमें असीम शक्ति है
ईश्वर का अंश है जिसमें अनन्त दीप्ति है
कुछ भी कर सकता है,
हर समस्या सुलझा सकता है
पहाड़ तोड़ सकता है समुद्र लाँघ सकता है
ज़रूरत है अपने को अन्दर से जान ले
"अहं ब्रह्मास्मि" के सत्य को स्वीकार लें
तब कोई भी व्यक्ति तेज-पुंज बन जाता है
समान्य से उठ कर विशेष हो जाता है
कल्पना नहीं है यह सर्व सिद्ध सत्य है
किस्सों के सुपर हीरो, हम सब के मध्य हैं
कोई भी समान्य व्यक्ति चमत्कार कर सकता है
सुपर मैन, फ्लैश, हनुमान बन सकता है।