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Neerja Sharma

Action Thriller

4  

Neerja Sharma

Action Thriller

शिशिर प्रभात

शिशिर प्रभात

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वो शिशिर की प्रभात

वो गहराता अति कोहरा

हर दिशा हो गई ध्वल

दिखे अति उज्ज्वल।


घर से निकलने को मन न चाहे

रजाई में दुबक सुबह बिताएँ

सूरज न निकले ,कीणियाँ भिगाएँ

सुबह से शाम बस ठंड ही सताए।


धरती अँबर सब एक हो गए 

मानो धुँध - चादर ले सो गए

ओस से कण - कण भीग गए

ठिठुरते किसान खेत को चले ।


सूर्य का हर कोई करता इंतज़ार

दिखे किरण मिले अमृत धार

कलियाँ ,पत्तियाँ सब मुस्कुरा कर

सूयोर्दय हुआ जीवन अमृत बनकर।



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