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Shakuntla Agarwal

Action Classics Thriller

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Shakuntla Agarwal

Action Classics Thriller

"युद्ध की त्रास्दी"

"युद्ध की त्रास्दी"

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अँधेरे का डेरा,

नहीं कहीं सवेरा,

गिद्धों का बसेरा,

मलबों में लाशों के ढ़ेर,

प्रियजनों को अवेर,

दहशतग्रस्त इंसा,


बचा नहीं कोई अपना,

चाहे रोना - चीखना,

फ़रियाद लिए कहाँ जाऊँ,

किसे समझाऊँ,

महज़ ताकत की नुमाइश,

इससे क्या होगा हासिल,

कितनों को रौंदा,


फिर धुन - धुन पछतायेगा,

अंत समय जब आयेगा,

वीरान सड़के, सूनी राहें,

गोद सूनी, हुई विधवायें,

अनाथ बच्चें, निहारें राहें,


एक पे एक लाशें दफ़नायें,

इतनी जगह कहाँ से लाये,

किस - किस का मातम मनायें,

लाशों की गिनती कैसे लगायें,

युद्ध की प्रकाष्ठा कैसे समझायें,


परमाणु बम की धोष दिखायें,

सृष्टि को मुठ्ठी में लेना चाहें,

क्यों नहीं वासुदेव - कुटुंब की नीति अपनायें, 

क्यों नहीं घर - घर में शांति अलख जगायें,


अंत समय जब आयेगा,

खाली हाथ ही पायेगा,

फिर क्यों सिकंदर जैसे,

आसमां मुठ्ठी में भरना चाहें,

तेरी समझ में ये क्यों नहीं आये,


नादान इंसा समझ ले,

तू भी चैन न पायेगा,

लाशों के ढ़ेर पे,

कैसे दिवाली मनायेगा,

होली दिल में धधकेगी,


कैसे दीप जलायेगा,

अग्नि जलायें या तुझे दफ़नायें,

"शकुन" दो मुठ्ठी राख बन जायेगा।


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