कैसी ये तबाही है आई!
कैसी ये तबाही है आई!
कौन मिटाने चला है किसका वजूद ? क्या है तेरा ? किसका है तू ?
कुछ हथियार लिए कौनसी ताक़त का गुणगान करने चला है तू ?
कितना नादान है तू ये देख हँसता तो वो भी होगा,
मिटाने चला है निशाँ तू जिसके उसे गड़ा खुद उस खुदा ने है।
तुझे ताक़तवर बनाया उसने तो कुछ कर के दिखा,
करना है नाम अपना तो इस ज़मीन पे शांति की मिशाल लिख चला जा।
यूँ लहूँ लुहान करके इस माटी को हासिल होगा क्या तुझे ?
बिलबिलाती आँखियों में मौत का ख़ौफ़ दे क्या खुश होता दिल तेरा होगा ?
बहते रक्त देख तेरा नाम लिखा इतिहास में होगा क्या ?
जिसे पाने की धुन में निकला है तू, वो कब तक है तेरा ?
कौन से अधिकार की बातें तू करता है शब्दों में अपने,
इन नादान बच्चों की आँखों से भी ना डरता है क्या तू ?
उसकी रचना पे सवाल जो करने चला है तू,
तेरा अपना है ही क्या इस दुनिया में यहाँ ?
आया है यहाँ तो कुछ ऐसा कर चल जब देखे इतिहास
नाम तेरा तो हर ज़ुबान बोले यही था रक्षक हमारा।
युद्ध करना ही है तो अपने आप से कर,
हासिल करना ही है कुछ तो अपनी कमज़ोरियों पे कुछ पाकर के कर।
जीवन मिला है एक उसे यूँ ना तबाही मचाने में बिता,
एक एक श्वास है क़ीमती इसे प्यार में लगा।
