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Nandini Mittal

Inspirational

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Nandini Mittal

Inspirational

“नायाब"

“नायाब"

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जिज्ञासा थी कुछ करने की,

तलब थी ख़ुद को जानने की,

सपने थे आसमान से भी ऊँचे,

अपनी एक अलग पहचान बनाने की ठानी थी,

चुनौतियाँ पे चुनौतियाँ आती गई,

कभी गिरी, कभी संभली

जुनून था दुनिया की भीड़ से अलग चलने का,

रास्ते अपने आप खुलते गए,

मंज़िल बनती गई,

लक्ष्य दिखाई देने लगा,

सब कुछ आज भी वही है,

बस कुछ नया है तो ‘ज़िंदगी देखने का नज़रिया’।


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