आते कुछ जाते कुछ रोज़ वही दोहराते, दास बने या नायक, हाँ ये भी बस तुझ पर है। आते कुछ जाते कुछ रोज़ वही दोहराते, दास बने या नायक, हाँ ये भी बस तुझ पर है।
क्या धुंधली अभिलाषा लेकर महाशून्य में ताक रहे, या फिर बढ़कर किसी शिखर की ऊँचाई को आँक रहे । क्या धुंधली अभिलाषा लेकर महाशून्य में ताक रहे, या फिर बढ़कर किसी शिखर की ऊँचाई...
इतना ही गुमाँ है,तो आ आज़माले दिल तो, हम भी रखते समंदर है । इतना ही गुमाँ है,तो आ आज़माले दिल तो, हम भी रखते समंदर है ।
याद रखना इस दोस्ती को, तू ज़िन्दगी की हर मंज़िल में। याद रखना इस दोस्ती को, तू ज़िन्दगी की हर मंज़िल में।
लड़ना सिखाऊँगा महफ़िल से मैं मुनासिब तेरा अभी अंजान हूँ। लड़ना सिखाऊँगा महफ़िल से मैं मुनासिब तेरा अभी अंजान हूँ।
ए जिंदगी रुक जा थोड़ा चलते हैं,थोड़ा सब्र कर लेते हैं। ए जिंदगी रुक जा थोड़ा चलते हैं,थोड़ा सब्र कर लेते हैं।