तुझ पर है !
तुझ पर है !
हर चुनौती देती विकल्प,
चुने आसान या सही, तुझ पर है।
उस पग मिलते राही बहुत,
सुदामा या कंस बूझना, तुझ पर है।
सृष्टि है पड़ाव आते हर पग,
चूमे गहराई या पतवार उठाए,
तुझ पर है।
गिराती सौ बार उठाती
एक बार ज़िन्दगी,छलकाए
मोती रंज या उल्लास के तुझ पर है।
लिखी जितनी साँसे उतनी लेगा ही तू,
जिए इस पल या दो कलो में,
तुझ पर है।
बक्शा जीवन उसने,
ना लिखा तेरा नसीब,
बैसाखी बने या भागे, तुझ पर है।
उठते गिरते हर भूल कहना
चाहे कुछ,
कोसे या सीखे इस बार,
तुझ पर है।
आते कुछ जाते कुछ
रोज़ वही दोहराते,
दास बने या नायक,
हाँ ये भी बस तुझ पर है।।
