राम रावण
राम रावण


राम सिया की पूजा कर रावण से करते द्वेष है,
नतमस्तक भोले उनके जो इरावनन के भेस है।
ज्ञानशक्ति के हठ से पांडित्य का जो सरमाया था,
रामबाण से दानव कुल का मोक्ष गठन करवाया था।
राम राज्य के अंदर भी लंका कहीं आबाद थी,
पिता पुत्र के स्नेह में भी गरल की कोई खाद थी।
मायासुर ने बेटी को रावण संग विदा कराया था,
पतिव्रता होके भी उसने राम ज्ञान अपनाया था।
लंका के संहार से ही तो दीप जले दीवाली के,
राजा से वो इष्ट बने उन्मुख सत्य की लाली से।
मिथ्या के हेतु ही सत्या को आडम्बर प्राप्त हुआ,
सही गलत का फर्क सिखाने रामायण का रास हुआ।
भाई हितैषी रावण राम दोनो के ही साए थे,
एक से लंका भस्म हुई दूजे ने ध्वज लहराए थे।
क्षेम नाश मिश्रण से बनता मानुष का विवेक है,
रावण की लंका बने या राम राज्य ये शेष है।