STORYMIRROR

Priyanka Gupta

Abstract Tragedy Inspirational

3  

Priyanka Gupta

Abstract Tragedy Inspirational

डिप्रेशन (अवसाद)

डिप्रेशन (अवसाद)

1 min
330


शब्द नया मालूम हो रहा, अर्थ वही प्राचीन,

बोर हो रही फितरत, तुम न करो इसे ग़मगीन।

कुछ गाना सुन के भंगड़ा पा लो, बदलो ये रूटीन ,

अवसाद कह रहे तुम जिसको, वो मांगे चेंज ऑफ़ सीन।


गुमसुम से क्यों हो रहे? मिलाओ नंबर चार,

अच्छी यादें याद करो, सब यार रिश्तेदार।

कुछ अपनी और जब कुछ उनकी सुन के तुम भरमाओगे,

अपने से भी ज़्यादा ग़म में शायद हँसते किसको पाओगे।


ज़िद करो, या रो लो तुम या लिखो अपने विचार ,

रुचियों में अपनी गुम हो जाओ, नहीं ये कोई हार।

तुझसे बेबस और यहाँ, वो भी तो मुस्काते है ,

सुलझा के गुत्थी जीवन की, बस चलते है जाते है।


जब तक जीवन, संघर्ष तब तक जारी ही रहेगा ,

रस नवरसों में क्या आज तेरा, ये तुझपर ही रहेगा।

हर शाम की यहाँ सुबह होगी, इसमें क्या तेरा धीरज ?

दलदल ये होता गहरा ही, तू प्रस्तुत करना नीरज।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract