कुछ तुम रचो, कुछ हम रचते हैं, चलो अब गम में भी मुस्काते हैं, कुछ तुम रचो, कुछ हम रचते हैं, चलो अब गम में भी मुस्काते हैं,
कुछ गाना सुन के भंगड़ा पा लो, बदलो ये रूटीन , अवसाद कह रहे तुम जिसको, कुछ गाना सुन के भंगड़ा पा लो, बदलो ये रूटीन , अवसाद कह रहे तुम जिसको,
कभी उम्मीदों में पनपते एक आस पर मुस्काते रिश्ते, कभी उम्मीदों में पनपते एक आस पर मुस्काते रिश्ते,
कभी कभी मुझसे कुछ गड़बड़ हो जाती तो बाद में खाते हुए हम मुस्काते कभी कभी मुझसे कुछ गड़बड़ हो जाती तो बाद में खाते हुए हम मुस्काते