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"Tri" ShiV"

Inspirational

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"Tri" ShiV"

Inspirational

मां और शाम का नाश्ता

मां और शाम का नाश्ता

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घड़ी में जैसे चार बजते है,

मां की याद आने लगती है, 

आने लगते है सामने बीते हुए दिन 

की कितनी खुशियों से सजाया था 

अपनी बिखरी हुई जिंदगी को 

बेटियां शादी के बाद पराए घर की हो गई 

और 

बेटे शादी के बाद पराए हो गए 

उनकी यादों में बहाती थी 

मां अक्सर आंसू 

बेटे बहु नाते पोते सब के होते भी 

उसे बड़े से घर में वह तन्हा हो गई 

तीन लोग बचे हम बाकी थे 

मां पापा और मैं

हमने फिर से अपना आशियां सजाया 

खुशियों से, गमों से, सुख से, दुख से 

और फिर उस घर को मां के साथ मिल कर 

खुद अपने हाथों से सजाया

कोना कोना चमकाया , 

हर बुरी याद को दूर भगाने की 

कोशिश में 

एक दूजे का साथ निभाया 

मुझे याद है अक्सर दोस्त मेरे कहते थे 

तू पूरा दिन अपनी मां के साथ रहता है 

कभी तो बाहर हम सब के साथ भी घुमा कर 

पर उनको कैसे समझता 

की क्यों में ये सब करता हूं 

अपनी बूढ़ी हो चुकी मां का काम में हाथ 

>

बटाता हूं , 

दिन खुशियों बीतने लगे , 

हर त्योहार हम खुशी से मनाने लगे , 

चार बजते ही मैं यूट्यूब से कोई अच्छी 

खाने की वीडियो मम्मी को दिखाता 

चार पांच वीडियो देख कर वह 

एक पसंद करती 

और हम मिलकर उसे प्यार से बनाते 

कभी कभी मुझसे कुछ गड़बड़ हो जाती 

तो बाद में खाते हुए हम मुस्काते

हर शाम का नाश्ता एक नई खुशी लेकर आता था

और हम जैसे उस खुशी में खिल खिल जाते 

पर वक्त को मुझे बड़ा बनाना था

आखिर लड़का था 

काम करने के लिए बाहर निकलना था 

उनका भी ये सपना था ।

की मैं भी औरों की तरह काम करूँ 

मुझे आए तीन माह ही बीते थे 

की भगवान ने उन्हें अपने पास बुला लिया 

बहुत याद आते है वे दिन 

अब शाम का नाश्ता तो होता है 

मगर 

वो बात नहीं होती , 

वो तुम्हारे हाथ का स्वाद नहीं होता 

पेट भरने के लिए खाना तो खाते है

पर उस खाने में मां का प्यार नहीं होता 



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