कुछ तुम रचो, कुछ हम रचते हैं, चलो अब गम में भी मुस्काते हैं, कुछ तुम रचो, कुछ हम रचते हैं, चलो अब गम में भी मुस्काते हैं,
चलो गीत नया कुछ रचते हैं। भ्रमण अंतःकरण का करते हैं।। चलो गीत नया कुछ रचते हैं। भ्रमण अंतःकरण का करते हैं।।
मानस के कुंठित कंठों को सुमधुर, सरस-से गान दो मानस के कुंठित कंठों को सुमधुर, सरस-से गान दो