चलो कुछ नया करते हैं
चलो कुछ नया करते हैं
चलो कुछ नया करते है।
आज कुछ मौन रहते है।।
आज कुछ खुद में जीते हैं।
आज कुछ खुद से मिलते हैं।।
प्रकृति संग जीते हैं।
कुछ पंछियों की सुनते हैं।।
चलो गीत नया कुछ रचते हैं।
भ्रमण अंतःकरण का करते हैं।।
आज केवल कुछ सुनते हैं।
अनन्ता में विचरते है।।
प्रेममय आज हो जाते है।
हर पल तुझमें जीते है।।
कण कण में तुझे निहारते हैं।
बस खो जाते है, बस खो जाते है,
अनन्ता के सागर में, आनंदमय हो जाते है।।
