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Beena Ajay Mishra

Abstract Inspirational

4.3  

Beena Ajay Mishra

Abstract Inspirational

सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना

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अपनी वीणा के तारों पर 

फिर सप्त स्वरों को छेड़ दो

जीवन की विस्मृत पगडंडी को

आज नया एक मोड़ दो।

मानस के कुंठित कंठों को

सुमधुर, सरस-से गान दो

प्रलय गमन करती आशा को

पुनः वही उत्थान दो।

विकृतियों के बढ़ते तन को

बार-बार संहार दो

विकल हुई मन की गरिमा को 

सुंदर साज, शृंगार दो।

अधम, अमानुष, अत्याचारी

अकृत्यों को ह्रास दो

प्राणों को मुक्त-अमुक्त छंदों के

रचते, बसते-से रास दो।

नष्ट करो गहराते तम को

कलुष वृतियों को नाश दो

नृत्य करें सुंदरता दिक्-दिक्

माँ!!आज हृदय को आस दो।



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