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Beena Ajay Mishra

Romance

4.7  

Beena Ajay Mishra

Romance

तुम

तुम

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तुम जो हृदय में स्पंदन हो

षड़यंत्र नहीं है यह 

किसी दिन स्वयं को बाँध कर देखो

मेरा घुट कर थम जाना

तय है...... 

पृथ्वी, सूर्य और चाँद के खिंचाव-सा

यह अभिसार निरंतर 

बिना किसी आमंत्रण 

तुम्हारी ओर एक अदेखी रेखा 

नापता ,उद्दाम कुछ कामनाएँ लिए 

खिंचता ही जा रहा है .....


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