निशब्द हूं मै आज
निशब्द हूं मै आज
क्या कहूं आज मैं बस निशब्द हूं मै ,
मुझे बस इतना पता है तेरी जिंदगी का अहम हिस्सा हूं मै,,
तुम हमेशा कहते हो तुम जान हो मेरी ,
पर कैसे बतलाए हम तुम्हें तुम तो सांसें हो मेरी ,,
जिंदगी बिन तेरे कैसी होगी कभी कभी सोचती हूं मैं ,
शायद मैं ही उस पल सांसें न लूं महसूस करती हूं मैं भी ,,
तेरे प्यार के आगे नतमस्तक हूं मैं ऐसा एहसास है मेरा
पर देखो मैं तुझमें किस कदर बसी हूं ये बयां करता है तेरा चेहरा,,
ना जाने कितने ही नामों से पुकारा करते हो तुम मुझे,
पर एक नाम मैं भी दे रही हूं हां मेरी जान हो तुम मैं भी कह रही हूं ,,
थाम लिया है ये हाथ जब से तुमने हर सुबह अपनी लगती है ,
आती हैं जब रात तो ना जाने क्यों अमावस्या की अंधेरी लगती है ,,
ए म
ेरी जिंदगी के चांद पता है कितनी अनगिनत सी बातें की है मैंने तुझसे,
सुकून मिलता है मुझे भी जब देखती हूं तुझे दुनिया रोशन है अंधेरे में भी तेरी चमक से,,
तेरी मेरी मुहब्बत से दुनिया अभी अंजान है देख तो कितनी ये नादान है ,
पर किसी को क्यों समझ आता नहीं कि बस तू ही इस जान की जान है,,
लिखती हूं जब भी तेरे लिए शब्द अनमोल हो जाते हैं ,
देख ना कितने रत्न मैंने आज लिख डाले हैं तो जान क्या तुझे समझ आते हैं ,,
तुम कहते हो ये शब्द ही मेरी पहचान और तुम्हारी जान है ,
तो बताओ क्या इन शब्दों की माला को आज तुम समझ पाते हो ,,
पता है जान खामोशी अब भाने लगी है ,
शायद तुझसे मिलने की घड़ी मेरे नजदीक आ चुकी है ,,
हां तेरे प्यार के आगे मैं हमेशा ही निशब्द हूं,,,,,,,,,