चंचल हवायें--दो शब्द
चंचल हवायें--दो शब्द
ये चंचल हवायें, पानी की बूंदें,पूछें ये मुझसे तुम तो कहां हो
पलकें झुकीं हैं,लब थरथराये, कैसे कहें कि दिल मे यहां हो
ये उड़ते हुए,काले गेसू तुम्हारे,अधरों को चूमे आहिस्ता आहिस्ता
कैंसे कहें,दिल में चुपके आके,सपनों में सताते आहिस्ता आहिस्ता
कब से खड़ी हूं,इंतजार में तेरी , मन तरसाते आहिस्ता आहिस्ता
जालिम दुपट्टा,मुझ को सताता,उड़ा जा रहा है आहिस्ता आहिस्ता
क्या याद करते,हो तुम भी वहां ,रातों में जागकर तुम जहां हो
पलकें झुकीं हैं, लव थरथराये, कैसे कहें कि दिल मे यहां हो
ये नदिया की धारा, चूमे किनारा, मन में मेरे एक चाहत सी जगाये
पत्तो से आती, जो थोड़ी से आहट, यूं क्यूं है लगता तू ही सताये
ये आंखों में अनजानी, पानी की बूंदें,आती कहां से कोई तो बतायें
ये शीतल हवायें, तन को सतायें, अनजानी कसक दे कर के जायें
ओ विरहा की रातें, इतना बता दे, कैसे जियें उनके बिना हो
पलकें झुकीं हैं, लव थरथराये, कैसे कहें कि दिल मे यहां हो
धड़कन यह दिल की, आंखों में सपने , देखो ये कैसे मचल रहे हैं
ये चांद- तारे और चमकते सितारे, संग - संग हमारे ही चल रहे हैं
यादों के दर पर,आहिस्ता उतर कर , कितने ही रंग छलक रहे हैं
तुझसे बिछुड़ने की , सोच के ये बातें , न जाने क्यों हम डर रहे हैं
हमारी मोहब्बत का,ताजिन्दगी ,चलता रहे यूं सिलसिला हो
पलकें झुकीं हैं,लव थरथराये,कैसे कहें दे कि दिल मे यहां हो
ये चंचल हवायें, पानी की बूंदें, पूछें ये मुझसे तुम तो कहां हो
पलकें झुकीं हैं,लव थरथराये,कैसे कहें दे कि दिल मे यहां हो।