बिन कहे आंखें नम क्यों है,,
बिन कहे आंखें नम क्यों है,,
आज कुछ ज्यादा ही तपिश सी है चेहरे पर ,
क्या है ये....
बिन कहे ही आंखें नम है देखा है मैंने उसे ,
आखिर क्यों है ये....
ऐसा तो सोचा न था कभी कि बिखरना पड़ेगा,
टूटे हुए अपने ही अक्स को फिर समेटना पड़ेगा,,
शिकायतें ही शिकायतें रह गई है खो तो गया है सब कुछ,
उन शिकायतों की वजह को क्या अभी भी ढूंढना पड़ेगा,,
उसकी डायरी आज फिर पढ़ रही हूं कितना खुबसूरत एहसास है ,
सफ़र आसानी से कट रहा है चाहे वो नहीं पास है,
टिमटिमाते तारों की रोशनी में अक्सर तुम नज़र आ जाते हो ,
रात देखा था फिर तुम्हें नम आंखों से जिन्हें अक्सर तुम अपने पास बुलाते हो,
चांद आसमान में है और वही रहेगा तुम उसे कितने प्यारे हो,
फिक्र है तुम्हें भी पता है मुझे जब हवा के संग एक पैगाम भिजवाते हो,
एक सुकून सा है तुम नज़र आते हो ,
खुश रहना अपनी दुनिया में क्यों ये डायरी के पन्नों से जतलाते हो,
कल तेरी यादों के संग वक्त गुजारा था सुकून बेहिसाब था ,
महसूस मां ने भी तुम्हें किया मुझमें जब मेरे अक्स को उन्होंने अपने कलेजे से लगाया था,
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मैं भी खुश हूं पर याद बहुत आती है मां की आंखें अक्सर नम हो जाती है ,
हंसते हैं हम दोनों अक्सर जब शैतानी तुम्हारी याद आती है,
मैं लौट रही हूं आज तेरे शहर से पैगाम तुझे मिल गया होगा ,
फिर वही यादों का सहारा मुझे भी मिल गया होगा,
तू खुश रहना दुआं सुबह शाम करती हूं ,
शायद कभी तो मिलेंगे हर सफर की शुरुआत में यही कहती हूं,
शायद वो अंतिम दिन आएगा जब तू मुझे ले जाएगा,
करेंगे बेहिसाब सी बातें और कोई नहीं सुन पाएगा,
पता है तुम्हें एक नए सफ़र की तैयारी कर रही हूं
तुम्हें तो सब पता है ये मैं कैसी बातें कर रही हूं,
क्या तुम्हें भी एहसास यही होता है जब चांद आसमान में होता है ,
पूछूंगी ज़रूर भुल न जाना....
हां हां मैं ठीक हूं तुम भी खुश रहना,
यूं ही पलकें बोझिल सी है शायद बीत रही है रैना,
एक नई सुबह फिर आएगी जिंदगी फिर सवाल उठाएगी,
मैं फिर तैयार हूं बस तुझे ही ये बात समझ आएंगी,
तुम ना होकर भी हो एहसास हर वक्त है मुझे,
फिर भी आंखें नम है लगता है हर बार मुझे...