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मिली साहा

Romance

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मिली साहा

Romance

ये इश्क है या आकर्षण

ये इश्क है या आकर्षण

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संगमरमर सी मूरत, ऐसी है खुदा की कारीगरी वो,

बस एक झलक में, मेरे इस दिल में बस चुकी है जो,


आफताब़ सी चमक, चंद्रमा सी शीतलता है, मुख पर, 

फ़िदा हैं ये दिल उस पर, प्यार की रागनी लगती है जो,


ये इश्क है या आकर्षण, उसके हुस्न का, कहां है पता,

पर मुझे खींचें उसकी आंखें, मृगनयनी सी लगती है जो,


आंखों में हया, खामोश हैं लब, सादगी में है सौंदर्य उभरा,

चंचल झरने सी चंचलता उसमें, रूह को सुकून देती है जो,


फूलों सी लगती है वो नाज़ुक, अदाएं भी उसने बेशुमार हैं,

दिल पे देकर प्यार की दस्तक, अभी सामने से गुजरी है जो,


अल्फ़ाज़ उसके संगीत की ध्वनि, कानों में मधुर रस घोले,

देख नज़ाकत दिल शायर हो जाए, ग़ज़ल सी लगती है वो,


चांद भी आज अचंभित है देखकर, इस चांद को धरती पर,

बन चुकी है अब वो इस दिल की चाहत, खुदा का नूर है जो,


जिक्र होता है जब भी उसका, प्यार की खुशबू सी आती है,

जिसके एहसास से धड़कता है दिल, मेरा पहला प्यार है वो,


पर कैसे कहूं दिल की बात, उसके इनकार से लगता है डर,

क्या लिखूं उसकी तारीफ़ में, खुद सौंदर्य की तारीफ़ है जो,


नींद कहां आए, बंद करूं जो आंखें तो सामने आ जाती है,

उसकी याद में कटती ये रातें, इन निगाहों का इंतजार है जो,


काश! पढ़ सके वो मेरी आंखों में, चाहत के अल्फ़ाजों को,

हकीकत बन जाए इस ज़िंदगी की, ख़्वाब सी लगती है जो।


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