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Rajeshwar Mandal

Romance

4  

Rajeshwar Mandal

Romance

प्रेयसी

प्रेयसी

2 mins
712


आम्र मंजरी

फूले पलाश

मधुर कुमकुम

ओस मिश्रित घास

प्रिय क्यों हो दूर

आओ पास

तुम बिन

ये मन उदास


बात बात में

जो बात हुई थी

वो बात नहीं

बतंगड़ था


तीखे मिठे

नोंक-झोंक का

माना कि

तुफां ए समंदर था

पर तोड़ दे

जनम जनम का

सारे रिश्ते नाते

वैसी कोई बात न थी

गौर करो

पुनर्विचार करो


दुनिया बहुत ही ज़ालिम है

मेरी गलती बताकर

तुझे बरगलायेंगे

बन सच्ची हितैषी

दिन में तारे गिनवायेंगे

तुम्हारे माथे पर

देख लकीर तनावों की

आहिस्ते कुछ और

जहर घोलेंगे

तुम टूटने लगोगी

और वो तोड़ने लगेंगे

फिर वो अपनत्व का

भाव दिखाकर

करेंगे वशीभूत तुझे

और मेरे ही दिये रूमाल से

पोंछ अश्रु कण

तेरे नयनों का

तोड़ेंगे और तुझे


मैं भूल चुका हूं

वो सारी बातें

तुम भी भूल जाओ

फिर से बन अनजान पथिक

आओ हम फिर से मिल जाएं

साथ बैठें कुछ बात करें


तुम जीत लो

या मैं हार लूँ

मैं जीत लूँ

या तुम हार लो

क्या फर्क पड़ता है

कौन हारा कौन जीता

पर बहुत फ़र्क पड़ेगा

कोई और जीत ले तुझे

या कोई हरवा दे मुझे


तू ही मेरी जिंदगी

तू ही मेरी आस 

भरी है महफिल

पर कोई न मेरे पास

आम्र मंजरी

फूले पलाश 

मधुर कुमकुम

पर मन उदास



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