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Dr Yasmeen Begam

Romance

4  

Dr Yasmeen Begam

Romance

उपहार

उपहार

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तुम्हें क्या उपहार दूँ आज

जो सबसे कीमती न सही

सबसे अलग हो

हजारों वर्षों की यात्राओं के बाद मिले

एक क्षण विशेष को कैसे सजा दूँ

अपनी सदाबहार मनहूसियत को दूर हटा कर

तुम्हारे मन के सबसे सुंदर कोने में

क्या दूँ उपहार

जो किसी ने न दिया हो किसी को कभी

तुम्हारे भीतर पड़े कई उत्सवों के बासी तोरणद्वार

नोच कर निकाल दूँ और सजा दूँ नई झालरें

तुम्हारे हृदय में कैसे सहेज दूँ

हजारों रंगों के सुरों की लड़ियाँ

जिनकी सुगंध पहुँचे सिर्फ तुम्हारी इंद्रियों तक

कैसी-कैसी खामोशियाँ और कैसी-कैसी गुनगुनाहटें सजाई हैं

आज तक तुम्हारे तंतुओं पर

अब कौन सा राग छेड़ दूँ तुम्हारे तारों पर

कि बजता रहे एक अद्‍भुत संबंध का अद्‍भुत संगीत जीवन भर

कौन सी कलाकृति उकेर दूँ तुम्हारी हथेलियों पर

कि बदल जायँ सारी रेखाएँ तुम्हारी

और उनमें खामोशी से दिख जाए मेरा नाम

तुम्हें क्या उपहार दूँ

जो कभी नष्ट न हो

काल की इस आपाधापी में

जो बना रहे हमेशा

मेरे जाने के बाद भी

तुम्हारे जाने के बाद भी

मैं जानता हूँ

तुम एक ऐसी किताब हो

जिसे कोई विरला ही पढ़ सकता है

मैंने पढ़ा है

रात-रात भर जागकर

जैसे परीक्षा की तैयारी करता है कोई बालक

मैंने पढ़ा है इसलिए मुझे पता है कितने पृष्ठ कम हैं यहाँ

मुझे पता है कहाँ-कहाँ गलत छपाई हुई है

कहाँ-कहाँ स्याहियाँ बिखरी हैं तुम्हारे रोने से

कैसे जिल्द बदल दूँ इस किताब की

क्या दूँ तुम्हें उपहार जो सोख ले शब्दों को, धुंधलाते आँसुओं को

और फिर से टाँक दे खूबसूरत चमकीले शब्द

जोड़ दे छूट गए पन्नों को

जिन्हें पढ़ कर जब तुम मेरी ओर देखो

तो मैं तुम्हें जी लूँ

पूरा का पूरा !


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