ओस की बूंद
ओस की बूंद
मैं अकेला कहाँ हूँ
तुम भी तो हो
कहीं आसपास
मेरे एहसासों में
मेरे ख्वाबों में
मेरे ख़यालों में
कोई आहट आती है
उसमे भी तुम्हें ही
करता हूँ महसूस
कोयल की कूँक में
ढूंढता हूँ तेरी आवाज
मयूर के नृत्य में
पाता हूँ तेरा अंदाज
हिरण की चाल में
पाता हूँ तेरी अल्हड़ता
फूलों के खुशबू में
महक महसूसता हूँ तेरी
हवा की रवानी में
मिलती है तेरी कहानी
रिमझिम फुहार हो
ओस की बूंदों में तुम हो
अंतर्मन को
चाँद सितारों में
दिखाई देता है
अक्स तेरा
मेरे चारों तरफ
हे हमकदम
जलवा तेरा ही तो
दिखाई पड़ता है
कण कण में
तुम्ही तो समाये हो
दिल में खुदा की तरह
तुम ही तो मेरे ईश्वर हो
हमसाये हो हमराज हो
जब तुम हो सर्वत्र
फिर मैं अकेला कहाँ हूँ ?