इश्क़ की राह
इश्क़ की राह
अब मुझको वंचित ना रखो तुम इस इश्क की लौ से,
कलिका रूप खिल रही है तुम्हारे नैनों के गुलशन में,
मतलब परस्त दुनिया से अलग अपनी दुनिया बनाए,
बीते सुनहरे पलों को संजो दिया तुमने इस जीवन में,
इश्क की दुनिया में होड़ लगी है आज हार जीत की,
प्रेम मेरा तुमसे सागर सा गहरा नेह भरा इस रिश्ते में,
यहाँ धन दौलत के प्यासे लोग इश्क़ को कहाँ समझते,
हमारा अलग सा ही रिश्ता है लालच की इस दुनिया में,
नफरत की दुकान चला लोग ईश्वर की गठरी लाद रहे,
इश्क़ की राहों चलकर हम दिलों को जीत रहे प्यार में,
मतलब कि दुनिया में अपनेपन का भाव कौन समझता,
प्यार में मतलब नहीं हमने पढ़ा है इश्क की किताब में,
खामोश रहकर भी इश्क को बदन
ाम करते हैं कुछ लोग,
हम बदनामी से नहीं डरते हम तो फिदा हैं उनके प्यार में,
इश्क के ख्वाबों को अनगिनत सतरंगी रंग में बुन रहा हूँ,
इश्क़ मेरा शीतलता की लहर है जी रहा हूँ इस विश्वास में,
सच के आगे झूठ खड़ा और दुनिया छल फरेब से भरी हुई ,
इस छल फरेब की दुनिया से दूर बंध गया मैं उनके प्यार में,
जब आंखें मिलती है उनकी आंखों से प्रेम दीप वहीं जलता,
हमारे इश्क़ की लौ जल रही है और स्नेह बढ़ रहा संबंधों में,
आज मतलब परस्त इस दुनिया में खामोशियाँ चितकारती,
खुशबू ही खुशबू फैली महक रहा हमारा प्यार इस उपवन में,
दूसरों की सुनी तो सिर्फ कमियाँ ही कमियाँ निकालते रहे,
स्वार्थ को छोड़ इश्क़ में खोकर हम खुश हैं अपनी दुनिया मेंI