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Prem Bajaj

Romance

3.8  

Prem Bajaj

Romance

आ तुझसे शरारत कर लूं

आ तुझसे शरारत कर लूं

2 mins
346



आ मैं तुझसे शरारत कर लूं , थोड़ी सी तुमसे मोहब्बत कर लूं ,

आ तेरी उलझी लट संवार दूं, तेरे बालों में गजरे का हार पहना दूं ।


तेरे लबों से चुरा कर के लाली , अपने लबों का प्यार दूं , 

आ तुझे छुपा लूं मैं आगोश में , कुछ करूं शरारत तुम संग ,

कुछ चुरा लूं शोख बदन की शोखियां तेरे , कुछ अपने तन- मन 

का भी तुमको उपहार दूं ।


ना देखना तुम ज़माने को , ना मैं नज़र उधर घुमाऊंगा ,

तुम डूब जाओ मेरी निगाहों में, मैं तुम्हारे नैनार्णव में डूब जाऊंगा ।  

पीएंगे हाला के घूंट एक - दूजे के लबों की, समा कर हम तुम एक - दूजे में,

शरारत के कुछ पल चुरा कर के , खो जाएं एक - दूजे में ।

आ महक तेरे बदन की लेकर मन अपना महकाऊं मैं, 

बन जाऊं मैं चांद तेरा,चांदनी तुझ पे लुटाएं मैं ।


कभी जुदा ना हो तुम मुझसे इस कदर तुझ पर मोहब्बत लुटाऊं मैं, 

आ फलक के सितारे भी तेरी मांग में सजाऊं मैं ।

आ मेरी महबूबा कर कुछ ऐसी शरारत कि सुध-बुध अपनी बिसराऊं मैं ।


आज हटा दो पर्दा लाज- शर्म का , तुझे प्यार की चुनरी औढ़ाऊं मैं ,

आ तेरे रूप की पूजा करूं मैं , बांहों के तुझे हार पहनाऊं, 

जल उठे तन- बदन तुम्हारा ऐसी कोई शरारत कर जाएं ।

बनो तुम धरा प्यासी , काली घटा बन जाऊं मैं, उमड़-घुमड़ कर आऊं,

तुझ पर नेह - मेह बरसाऊं मैं ।



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