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Shalini Dikshit

Romance

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Shalini Dikshit

Romance

डरती हूँ !

डरती हूँ !

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सोच कर तुझको ही, मेरा चेहरा चमकता है,

रंग न उड़ जाए मेरे चेहरे का,

अब तो कुछ और सोचने से ही डरती हूँ।


जितना हो सकती थी , मैं तेरी हो गई हूँ;

तू चल न दे हाथ छोड़ मैं ये सोच कर ही

डरती रहती हूँ।


तेरे लिए रोक देना चाहती हूँ जिंदगी अपनी,

क्योंकि बढ़ते रहने से खत्म हो जाएगी

जिंदगी सोच कर ही डरती हूँ।


इतने सारे ख्वाब, तेरे साथ जीने बाकी है;

कहीं कम न पड़ जाए

ये सात जन्म सोच कर ही डरती हूँ।


खुद से ही अब प्रेम करने लगी हूँ;

गर हो गया कुछ मुझे ,

तेरा ध्यान कौन रखेगा सोच कर ही डरती हूँ।


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