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Sarita Dikshit

Romance

4  

Sarita Dikshit

Romance

मेरे हमसफर

मेरे हमसफर

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मेरे हमसफर, मेरे अज़ीज़ हो तुम

मेरी खुशियों की चाबी, मेरा नसीब हो तुम


ढूंढा सारे ज़माने में, तुमसा ना मिला

इतने लाजवाब बेनज़ीर हो तुम


तुमसे दौलत मोहब्बत की मुझको मिली

अब तो समझो कि कितने अमीर हो तुम?


कोरे कागज को रंगीन स्याही से लिखकर 

पढ़ने लायक बनाया, वो अदीब हो तुम


कि तुम न समझोगे ख़ुद अपनी ही अहमियत

मेरी नज़र में तो सबसे अज़ीम हो तुम।


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