पर इश्क पे तो लिखा भी नहीं जाता समझ ना आया हमें इश्क हुआ। पर इश्क पे तो लिखा भी नहीं जाता समझ ना आया हमें इश्क हुआ।
ख्वाब थे सुहाने, मस्ती के हुआ, करते थे अफ़साने। ख्वाब थे सुहाने, मस्ती के हुआ, करते थे अफ़साने।
उतर रही है इक नज्म कलम से कागज पर उतर रही है इक नज्म कलम से कागज पर
जिगर के टुकड़े को नाज़ों से पालना और पराये को सौंपना इतना आसान नहीं जिगर के टुकड़े को नाज़ों से पालना और पराये को सौंपना इतना आसान नहीं
जिसे मैंने मुसलमान समझा वो तो एक इंसान निकला। जिसे मैंने मुसलमान समझा वो तो एक इंसान निकला।
गौर से देखो मेरे दोस्तों यह दुनिया है बड़ी अजीज। गौर से देखो मेरे दोस्तों यह दुनिया है बड़ी अजीज।