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Sunil Maheshwari

Drama

3  

Sunil Maheshwari

Drama

"सुहाने पल"

"सुहाने पल"

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गांवों की मस्ती थी,

बरगद की छांव में,

मछली थे पकड़ते,

हम कभी तालाब में।


शौक थे हमारे कुछ,

अज़ीब से दोस्त,

मिलकर करते थे,

हम खानाबदोश।


कक्षा भी लगती थी,

बरगद के नीचे कभी,

जहाँ शिक्षा की ख़ातिर,

अजीज आते थे सभी।


मस्ती का छोर था,

अनवरत तनिक शोर था,

ख्वाब थे सुहाने,

मस्ती के हुआ,

करते थे अफ़साने।


वो मस्ती वो सुरूर,

अब खो सा गया है,

आधुनिकता के युग में,

हम अरबन के हो गए हैं।


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