इश्क या अक्स
इश्क या अक्स
हमें इश्क हुआ
या एक अक्स दिखा अलग सा !
जीना वैसा ही चल रहा
धड़कन अब पहले सी
जोरों से धड़कती क्यों नहीं,
क्यों दूर होना दर्द नहीं देता !
ये इश्क है या बस एक अक्स
इश्क होना बड़ा ही आसान है
पहचानना मुश्किल है बड़ा !
कोई अच्छा लगे तो
उसे कहना बड़ा ही मुश्किल है जाने क्यों !
कहा ही नहीं जाता
डर लगता है पहले से ही
भले देखे बिना रहा नहीं जाता !
अब ये बात अलग है
कि सपनों मे नहीं सिर्फ जीते
वास्तविकता को अपना भी लेते है !
जो अपना है वो है ही अज़ीज़
जो नहीं है उसे पाने की जिद भी नहीं !
हर एक चीज पे लिखा
पर इश्क पे तो लिखा भी नहीं जाता
समझ ना आया हमें इश्क हुआ।