ईश्वर का स्वरूप-मां
ईश्वर का स्वरूप-मां
हे माँ, तू ईश्वर का रूप
तू जीवन का सार है
गंगा, जमुना तेरी रगों में बहती
तू जग का आधार है
हे माँ तू जीवन का सार है।।
मालिश कर मुझे स्नान कराना
प्यार-दुलार से मुझे मनाना
मेरे खान-पान की बस तुझको चिंता
जिंदगी तेरे बिन सुनसान है
हे माँ तू जीवन का सार है।।
ब्रहा-विष्णु का तू स्वरूप माँ
तू महादेव सी खुंखार है
तेरे बच्चों पर जब बन आती
उसकी खैर नही जाने ये संसार है
हे माँ तू जीवन का सार है, हे माँ तू मेरे जीवन का सार।।
