अंजाम-ए-इश्क़
अंजाम-ए-इश्क़
मेरे होंठों पे जब भी तेरा नाम होता है,
उस बक्त मेरे दिल को आराम होता है।।
जो दर्द तुम मुझे देते हो रात दिन,
मेरे लिये तो ये बड़ा इनाम होता है।।
वो वक्त कयामत से कुछ कम नही होता,
जब औरो की जुबां पे तेरा नाम होता है।।
हुस्न होता है जब अपने शबाब पर,
इश्क़ फिर उसका गुलाम होता है।।
मिलना नही चाहते हो और कहते हो घर में,
कभी ये काम होता है कभी वो काम होता है।।
ये सोचना था तुमको दिल लगाने से पहले,
ये इश्क़ जो होता है बड़ा बदनाम होता है।।
आशीष तुम ही अकेले तो नाकाम ना हुए हो,
मोहब्बत में तो सबका यही अंजाम होता है।।