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Ashish Pathak

Tragedy

4.9  

Ashish Pathak

Tragedy

बूढ़ा पिता

बूढ़ा पिता

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ये कहानी जो एक कविता के रूप में व्यक्त की गई है , वो कोई कविता नही है , बल्कि एक मेरे साथ हुई एक कहानी है। ठंड का मौसम था, सुबह का समय था , ठंड भी अपने चरम सीमा पर थी। मैं जब सुबह कॉलेज जा रहा था तो मैंने एक बूढ़े आदमी को देखा जो कि ठंड से ठिठुर कर रोड पर इक किनारे कांप रहा था। उस बूढ़े आदमी के आंखों में भी सिर्फ आंसू ही था, न पहनने के लिए कपड़े, न कंबल ... उसके पास कुछ भी नहीं था। मैं वह थोड़ी देर रुका और उस आदमी से उसके इस हालात के बारे में पूछा तो, उसके जवाब सुन कर मेरी आँखों मे आंसू आ गए, और मैं वह से कॉलेज चला गया । 


उस बूढ़े आदमी की बातों को मैं एक कविता के रूप में बताने जा रहा हूँ। एक बार पढ़िएगा जरूर.........

आप भी जाने की आज के बेटों की सोच किस तरह हो गई है.........


आज फिर से इंसानियत को मरते देखा है,

जब एक बूढ़े बाप को ठंड में रोड पर ठिठुरते देखा है।

न जाने कैसे छोड़ देते है लोग अपने माँ-बाप को,

आज फिर एक जिंदगी को बेदर्दी से मरते देखा है।।

उसकी आँखों मे आंसू थे, चेहरे पर इक चाहत थी,

इतनी मुश्किल में भी उसके चेहरे पर इक छोटी सी मुस्कुराहट थी।

बहुत बुरा लग रहा था मुझे, ना जाने क्यों मन में इक बेचैनी थी,

मेरे पास कुछ भी न था देने को, लेकिन फिर भी उसको कुछ भेट देनी थी।

आखिरकार मैंने उससे पूछ ही लिया, बाबा तू यहाँ इतनी ठंड में क्यों लेटा है, अपने घर क्यो नहीं जाता.....

उसके आँखों मे आंशू आ गए, प्यार की झलक भी दिख रही थी,

वह बोला....... 


बेटा, तेरे जैसे ही मेरा भी इक बेटा है, 

जिसको मैंने पलकों पर बिठाया था,

प्यार तो खुद से भी ज्यादा किया था उसको,

क्योंकि उसके ऊपर से उठा

उसके माँ का जो साया था।

मैं बाप होकर उसको इक माँ का भी प्यार दिया,

शायद कुछ इसी कारण से उसने मुझे आज घर से निकाल दिया।

ना सोचा था मैंने की कभी ऐसी भी घड़ी आएगी,

जो बेटी अपने माँ-बाप से दूर आयी है, आज वही मुझे घर से निकलवायेगी।

मैंने बेटे को बहुत समझाया , 

अपने किये हर प्यार को बताया था,

पर बेटे के मन में जैसे इक अंधकार सा छाया था।

वो भी अपनी पत्नी की बातों में आकर अपने बाप पर जुल्म ढाया है,

जिस बाप ने बेटे के लिए अपनी सारी खुशियाँ त्याग दी, आज वो जैसे हुआ कोई पराया है।

बस इतनी से कहानी है मेरी,

 जो इस रोड पर पड़ा हुँ मैं,

जिस बेटे को हर इक सुख दिया ,

आज उसी की वजह से इस मोड़ पर खड़ा हूँ मैं।

बेटे, इक बात तुमको भी बताता हूं, 

तू बहुत प्यार करना अपने माँ-बाप को,

पर इस मोड़ मत छोड़ना कभी,

त्याग देते है माँ-बाप अपनी सारी खुशियों को, जिससे बेटे को दुख ना हो कभी।


मैंने भी बहुत प्यार किया था अपने बेटे को , 

पर आज कुछ इस कदर बहाया गया हूं,

पर तू कभी न छोड़ना अपने माँ-बाप का साथ,

आज जिस तरह से मैं ठुकराया गया हूं।


इतना कह कर बूढा व्यक्ति रोने लगा,

अपनी बचे हुए जीवन को रोकर ही खोने लगा।।

फिर मैं भी वहाँ से चला गया,

उसका दर्द मुझको भी रुला गया।।


इतनी समझ तो नही है मुझमें की मैं किसी को समझाऊं ,

पर फिर भी एक बात कहना चाहता हूँ हर बेटे को.....


मत छोड़ कभी उस माँ-बाप को बेसहारा ,

जिसने तेरे लिए अपने हर सुख को खोया है,

माँ-बाप तो वो सूरज हैं जिसने खुद आग में जलकर,

तेरे जीवन के हर अंधकार को धोया है।।


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