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Rashi Rai

Abstract

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Rashi Rai

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घटना जो बदल दे जिंदगी

घटना जो बदल दे जिंदगी

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दो घटनाएँ बताती हूँ मैं जो अभी

बहुत जल्दी ही महसूस हुआ मुझे

कई लोगों को देखा है मैंने

फब्तियां कसते हुए


उन लोगों को जिनको वो पसंद नहीं करते

किसी की शारीरिक खराबी को लेकर तो बहुत

मगर मैंने देखा है ऐसे कई लोगों को

जो ऐसी कोई भी कमी को

परेशानी की वज़ह नहीं बनाते


जो सामने वाला सोच भी ना पाए

वैसा कुछ कर के दिखा देते

मुझे समझ नहीं आता कमी उसमें है

जो कमी को समस्या समझता नहीं


या उनमें जिनके पास कमी तो कुछ नहीं

पर बिना बात की समस्या बहुत है !

जिन्होंने कभी कोई दिक्क़त झेली ही नहीं

ज़िन्दगी फूलों की चादर है जिसकी


उसको क्या मालूम

वो ज़िन्दगी तो जी ही नहीं रहा

बस वो छोटे ब्च्चे से भी

छोटे दिमाग़ में बस सांसें ले रहा !


एक बार की बात है

थक गयी थी में

बड़ी थक के चूर हो गयी थी

पर एक 1-2 साल के ब्च्चे को बिना रुके।


इत्ता भागते देखा

थकावट सी न दिखी उसमें

नाही सिकन पड़ी माथे पे उसके

फिर इतने बड़े होके दिन खत्म होने से पहले

हम बड़े लोग कैसे थक जाते हैं


हाँ रुकना चाहिए,

पर फिर और तेज भागने के लिए

चलिए अपने छोटी उम्र के दोस्तों से हम

ये सीखते हैं कि थको मत रुको मत तब तक

तुम्हारी उम्मीद पूरी ना हो जाये जब तक !


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