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Indu Tiwarii

Drama Tragedy

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Indu Tiwarii

Drama Tragedy

युद्व

युद्व

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होते होगें युद्ध जमीन पर 

कभी जर, जोरू और जमीन के लिए..

पर अर्न्तमन के युद्ध, 

कहे से भी कहे नहीं जाते,


सह कर भी सहे नहीं जाते..

टूटते हैं, उलझते हैं, 

रह-रह कर बिखरते हैं,

जुबा का स्वाद, चेहरे की चमक


सब कुछ खत्म हो जाता है,

न चाहते हुए भी बहुत कुछ टूट जाता है 

बहुत कुछ छूट जाता हैं,

दिलों-जान से चाहने वाला रूठ जाता है.. 


निस्संदेह उलझ कर रह जाते हैं 

अतीत की यादों में

कुछ कही-अनकही सी बातों में... 

कुछ वादें जो करके भी मुकर जाते हैं 


कुछ किस्से जो जीते जी मर जाते है

ये अर्न्तमन के युद्ध

कहे से भी कहे नहीं जाते

सह कर भी सहे नहीं जाते।


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