फिर सिलसिला शुरू हुआ, रातों को जागने का, वो हममें हम उनमें, कब सिमटे और कैसे ? फिर सिलसिला शुरू हुआ, रातों को जागने का, वो हममें हम उनमें, कब सिमटे और कैसे ?
लोगों को तुम्हारी भावनाओं का फायदा उठाना बखूबी आता है लोगों को तुम्हारी भावनाओं का फायदा उठाना बखूबी आता है
मान नहीं रहा हर कोई एक दूजे कि बाते मान नहीं रहा हर कोई एक दूजे कि बाते
रिश्ते निभाने के लिए सूझबूझ चाहिए, रिश्ते निभाने के लिए सूझबूझ चाहिए,