ये है दिल दिमाग़ कि बाते
ये है दिल दिमाग़ कि बाते
दिल और दिमाग़ कि मचलती हुई बाते,
फिसल रही है जिंदगी कि रातें।
उलझ कर रखी है हर कायनात,
दूर दूर तक उड़ रही है,
धुएँ कि बरसाते,
मान नहीं रहा हर कोई एक दूजे कि बाते,
फिसल रही है जिंदगी कि रातें।
कौन सही है और गलत,
जान नहीं पा रहा,
ये है दिल दिमाग़ कि बाते,
और फिसल रही है जिंदगी कि रातें।
सबक ना पाया कोई,
उलझते हुए सवालों में,
फंसते रहे हम अपने ही आवाज में,
ये है दिल दिमाग़ कि बाते।