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puja babaria

Romance

4  

puja babaria

Romance

एक लफ्ज़

एक लफ्ज़

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एक लफ्ज़ आँखों से बया कर दो,

ख़्यालात के पिटारे में अपनी अनकही बातें छेड़ दो,

एक लफ्ज़ आँखों से बया कर दो कि,


मोहब्बत को अपनी दुआ में काबिल कर लो,

दिल रफ़्तार ना बढ़ जाये कि,

हवा का झोंका तुझे छूके कहीं और ना चला जाए।


काँटे की  दीवार में क्यूँ अपना  चेहरा छुपाती हो,

बेखयाल कि दावत क्यूँ बरसाती हो,

एक लफ्ज़ आंखों से बया कर दो।


 माफ़ी की कीमत ना होंगी,

ना हैसियत की परवाह होंगी,

समझेगी दुनिया अपने ही हिसाब से,

फिर क्यूँ अपनी छवि दूसरों में बाँट रही  हो,

एक लफ्ज़ आँखों से बयाँ कर दो।


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