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puja babaria

Inspirational Others

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सोच कि फरमाइश

सोच कि फरमाइश

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 ख़्वाबों सा सजा था ए दिल

 पानी कि लहरों कि तरह बह रहा था दिल

 हर लम्हा था बागों कि तरह खिला 

आसमां झूम रहा था बादलों कि छाँव में 

 फिर आई सोच कि नाव

 फरमाइश थी बड़ी

 इतनी है तू क्यों खुश

 जरा देख ले अपनी जिंदगी के बोझ को

 थोड़ी डुबकियाँ लगा ले इस सोच पे

 हारी हुई बाजी ना तू जीत पायेगी

 लोग क्या सोचेंगे  

 तेरे इस पागलपन पे

 फिर मैंने कहा

 कोई फिकर नहीं 

 ना जीत पाऊँ हारी बाजी

 ना जीत पाऊँ लोगे के दिल

 ये ज़िन्दगी है मेरी

 ये दिन है मेरा

 ये ख्वाब है मेरा

 ना  लौट के आएगी ज़िन्दगी

 ना लौट के आयेंगे ये दिन

 ना है वापसी का कोई दरवाजा

 ए जिंदगी हर रोज नए दांव पेच खेलती है 

 सोचते रहेंगे हर पल,

 तो दिन ढल जायेगा

 हाथ में रखी टोर्च गिर जाएगी

 हो जाएगा अंधेरा

     

 


    

     


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