महँगा था इश्क़ तेरा
महँगा था इश्क़ तेरा
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महंगा था इश्क़ तेरा,
लबों से छलक गया,
रूबरू ना मिला यूं,
तू मौसम का बहाना बना के चला गया।
सफरनामा तो शुरू कर दिया,
अब ख़त्म कहाँ करूँ बेखयाल कर दिया।
महँगा था इश्क़ तेरा,
लबों से छलक गया।
दिल का पहरदार बन के,
तू दिल का मुसाफिर बन गया,
जज़्बात का खिलौना बना के,
तू किस गली में बेचने निकला,
महँगा था इश्क़ तेरा,
लबों से छलक गया।