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puja babaria

Others

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आत्मसम्मान

आत्मसम्मान

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वक्त ने हालात बदले,

और हमने अपनी किस्मत

फर्क था इतना की,

तजुर्बा एक जैसा ही था,

सुबह के उजालों ने भी,

अंधेरों में दस्तक दी,

सरकती हुई हवाओ ने भी,

तकदीर के मौसम बदले,

तहजीब के नियम भी सौर मचाने लगे कि,

किस हद तक रहे हम,

दुसरो के किरादारों मे खुश

कभी एक पन्ना लिखें ज़िन्दगी का खुद,

धड़कती हुए सांसे भी चले अपनी आवाज़ पे

मासूमों का दौर ख़त्म करें,

दुनिया मे अच्छे कब तक रहेंगे

दुसरो के सामने अहसास का किराया भरे कब तक,

ज़िन्दगी का दौर चला जाएगा,

लिफाफा आ जायेगा दस्तावेज का,

कोई रूठें तो कोई जुडे 

ना गिराये आत्मसम्मान ज़िन्दगी का


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