#SMBoss
#Ballad
यूँही एक रात अचानक ,
वो मिले हमसे ऐसे ,
बिन देखे उसे ....
हम हँस दिये जैसे |
वो वर्चुअल मिलना ,
अजीब सा था बड़ा ,
उनसे उलझते - उलझते ,
हम दिल कहीं दे बैठे |
फिर सिलसिला शुरू हुआ ,
रातों को जागने का ,
वो हममे हम उनमे ,
कब सिमटे और कैसे ?
उमंगें जवान ज़िस्मों की हुईं ,
एक - दूसरे की ख्वाईश्यें पूरी हुईं ,
धीरे - धीरे इश्क परवान चढ़ा ,
कितने किस्सों का इम्तिहान हुआ |
आज भी इश्क अपना मरा नहीं ,
जब जिसे चाहत हो दूसरा आता यहीं ,
कुछ किस्से कभी खत्म नहीं होते ,
क्योंकि वो दिलों से नहीं रूहों से ज़वान होते ||