फिर एक मुलाकात करनी है
फिर एक मुलाकात करनी है
फिर एक मुलाक़ात करनी है
आज तुमसे एक बात करनी है।
कुछ अधुरा सा समान है जीवन में,
चल आज मिलकर अमल करना है।
दिल जो मेरा तेरे सीने में रह गया,
बाकी रहा जो मिलन, पूरा करना है।
छोड़कर रंजिशें दुनियादारी की,
कुछ तेरा-मेरा रहा,
अब हमारा करना है।
दूर कर गिले-शिकवे,
पहली मुलाक़ात सी नज़रें करना है।
ठहर सा गया है,
दर्द के दरिया में ये रिश्ता,
चल आज फिर से निर्मल करना है।
ढलने लगा अब ये आफ़ताब फ़लक का,
खल रहा है सफ़र,
तेरे बिन साथ का।
अहम की राख में दबा अहसास,
फिर से चिराग़ जलाना है।
चलती आँधियों को समेटकर,
फिर बस एक झोखा करना है।
चल इस बन्धन को,
फ़िर से प्यार बनाना है
भटके दिलो के इस संबन्ध को,
रिश्ता करना है।
किस मोड़ पर छुट्टी थी,
ये कहानी भुलाना है।
यादों के उस ढेर से तुझे
मुझे अपना करना है।
टूटे हुए सफ़र को फ़िर से साथ करना है
फिर कोई एक मुलाक़ात करना है।।