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yashoda nishad

Romance

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yashoda nishad

Romance

मेरी डायरी का कोरा पन्ना

मेरी डायरी का कोरा पन्ना

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पता नहीं था

यूँ ही ना जाने क्यूँ, 

उसके आने का 

ये नजरिया, 

दिल की धड़कन को 

और बढ़ाता था, 


उसके जिस्म की ये खुशबू, 

को मेरे जिस्म में आग कि 

तरह दहकाता था, 


मैं बन जाती थी 

आसमान, 

और वो तारा बनकर 

मुझमें बिखर जाता था, 


मेरी डायरी के कोरे पन्नों पर 

उसका ही जिक्र बार बार आता था, 

मेरी बेचैनी को देखकर वो

बन के बादल मुझ में वो

बरस जाता था, 


सर्द रातों में मेरे जिस्म की 

गलन को भर के अपनी बाँहों में 

वो मिटाता था, 


मेरे दर्द को देखकर वो

अपनी आँखों से आँसू 

को वो बहाता था, 


उसके आने का 

ये नजरिया, 

दिल की धड़कन को 

और बढ़ाता था!


मेरी डायरी के कोरे पन्नों पर

उसका ही जिक्र बार बार आता था



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